प्रभास, अमिताभ बच्चन, कमल हासन दीपिका पादुकोण ना दिशा पाटनी की फ़िल्म कलकी 2898 एडी रिलीज हो चुकी है नाग अश्विन के निर्देशन में बनी फ़िल्म को मिक्स रिव्यूज मिल रहे हैं प्रभास के फैन्स फ़िल्म देखकर आए हुए हैं सोशल मीडिया पर कसीदे पढ़ रहे हैं दूसरी और लोग फ़िल्म के विजुअल्स की भले ही तारीफ कर रहे हैं मगर साथ ही इसमें बुनियादी समस्याएं गिना रहे हैं ये वो बोल रहे हैं जिन्होंने कलकी 2898 एडी का बहुत नुकसान किया है.
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नंबर वन हीरो का चक्कर है बाबू भैया अहमियत के हिसाब से प्रभास इस फ़िल्म के सबसे मुख्य किरदार नहीं इस पार्ट के असली हीरो अमिताभ बच्चन हैं प्रभास बस इस फिल्म के स्टार हैं अमिताभ का किरदार जिस तरह से कागज पर लिखा गया उसी मजबूती से स्क्रीन पर भी उतरना है प्रभास के केस में ये दोनों ही चीजें नहीं हो पाती पहला मसला उनकी एंट्री के वक्त खड़ा होता है वो जितने भी पंचेज डिलिवर करते है वो ठीक से लैंड नहीं कर पाते.
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उनके किरदार को फनी बनाने की कोशिश की गई उस लिहाज से प्रभास की बॉडी लैंग्वेज बिल्कुल अलग थी एनर्जी वाले गेम में अमिताभ बच्चन सबसे टॉप पर थे दूसरी ओर प्रभास को देखकर लग रहा था कि वो अपने हाथ खींच रहे हैं नंबर टू राइटिंग हर जगह फैली हुई है जब भी फ़िल्म साइकोलॉजी के करीब जाती है तब अपने आप अपनी उत्सुकता जागती हैं दुर्भाग्यवश ये बाकी फ़िल्म के लिए नहीं हो पाता फ़िल्म की राइटिंग सेटअप में इतना समय खपा देती है की आपकी जिज्ञासा क्षीण पड़ने लगती है.
बड़े स्केल की फिल्मों के साथ एक मेजर समस्या होती है यहाँ स्केल ऐक्शन आदि आने के चक्कर में इमोशन को पिछली सीट पर बैठा दिया जाता है कलकी भी यही अपराध करती है फ़िल्म में किसी भी किरदार के साथ आपको कोई भावनात्मक जुड़ाव महसूस नहीं होता है जिसके किरदार के लिए आप कुछ महसूस ही नहीं कर पा रहे है फिर उसकी जीत या हार से क्यों राफ्ता रखेंगे.
नंबर थ्री हिट ऐंड मिस वाला ऐक्शन कलकी के दो सबसे दमदार ऐक्शन सीन्स हैं पहला जब अश्वत्थामा और भैरवा का युद्ध होता है धूल का गुबार उड़ता है हवा का रुख करने वाली इमारत जमीन को चूमती है दूसरा ऐक्शन सीक्वेंस फ़िल्म के क्लाइमैक्स में आता है प्लेन लेज़र गन सब कुछ है इस सीक्वेंस में लेकिन फ़िल्म का ऐक्शन सिर्फ इन दो सीक्वेंसेस तक सीमित नहीं है.
फ़िल्म में लात घुसें चलते हैं बस वो कहीं भी आकर लगते नहीं इसमें जितना दोस्त एक्शन कोरियोग्राफी का है उतना ही एडिटिंग का भी है नंबर फ़ोर ऐक्टर्स का पूरा इस्तेमाल नहीं हुआ दीपिका पादुकोण का किरदार इस कहानी की सबसे जरूरी कड़ी था लेकिन उनके हिस्से दमदार सीन नहीं आते ज्यादातर हिस्से में वो बचने और भागने की कोशिश कर रही होती है दूसरी और दिशा पाटनी का भी रोल चंद मिनटों का ही है.
वो भैरवा को कॉम्प्लेक्स तक लेकर जाती है उसके बाद उनके किरदार प्रॉक्सी का क्या होता है इसके फ़िल्म को कोई सरोकार नहीं आपके पास भारी भरकम स्टारकास्ट थी उनको कायदे से इस्तेमाल किया जा सकता था मगर ऐसा नहीं हुआ आपको ये खबर कैसी लगी हमें कॉमेंट में जरूर बताएं बाकी और भी ऐसी ही अपडेट्स पाने के लिए हमारे टेलीग्राम चैनल और व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वॉइन करें.